“वृद्धों की सेवा करना ही धर्म है।“ : पं0 जुगुल किशोर तिवारी
दर्शन, संस्कृति और विचारों की जननी है हिंदी : प्रो. जीसी त्रिपाठी देश-विदेश के साहित्यकारों ने हिंदी के विविध विमर्श […]
दर्शन, संस्कृति और विचारों की जननी है हिंदी : प्रो. जीसी त्रिपाठी देश-विदेश के साहित्यकारों ने हिंदी के विविध विमर्श […]
विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज का त्रिदिवसीय 29वॉ अधिवेशन (23वॉ साहित्य मेला), दिनांक 12, 13 एवं 14 अक्टूबर 2025
जंगल में महासभा डॉ. नवल पाल प्रभाकर दिनकर आज जंगल में एक महासभा होने वाली है। जंगल के सभी जीव-जन्तु
विषय – प्रभाती आधार छंद — सार छंद चहके पंछी दिनकर कहता, कितनी सुंदर माया। रंग-बिरंगे चित्र उभरते, देखो नभ
बाबुल की देहरी @डॉ शिप्रा मिश्रा घर में प्रवेश करते ही नजर आलमारी पर जा रुकी- शर्बत सेट, किताबें, कैसेट्स
आजकल कैसे उच्च शिक्षित, कथित प्रकाण्ड विद्वान भी कूपमण्डूक हो गए है। इसकी बानगी आए दिन देखने, सुनने को मिलती
आसमान के नीले रंग में, छुपी है चाँदनी की चमक। सितारों की रोशनी में, है छिपा हर सपनों का अरमान।
किताब के बारे में एक कविता: अक्षरों की सांझ पर खोजता हूँ, पन्नों के बीच खोया हुआ हूँ। किताबों की
ज़माना था, एक छोटा सा गाँव था जहाँ सब लोग खुश थे और एक दूसरे का साथ देते थे। इस
चलो एक कविता साझा करते हैं: जीवन की राहों में चलते, सपनों की बाहों में खो जाते। सूरज की किरणों